18 दिसंबर 2024 संकष्टी चतुर्थी तिथि – महत्व, पूजा विधि और व्रत की विशेषताएँ

18 दिसंबर 2024 संकष्टी चतुर्थी तिथि – महत्व, पूजा विधि और व्रत की विशेषताएँ
Spread the love

संकष्टी चतुर्थी हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला एक व्रत है जो प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा का दिन होता है, जिसमें भक्त उनकी उपासना करके अपने जीवन से संकटों को दूर करने का प्रयास करते हैं। 18 दिसंबर 2024 को संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा, और इस दिन का महत्व बहुत विशेष होता है। इस लेख में हम संकष्टी चतुर्थी के महत्व, पूजा विधि, और व्रत की विशेषताओं के बारे में विस्तृत रूप से जानेंगे।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की उपासना के लिए किया जाता है। यह व्रत हर महीने में एक बार आता है और यह व्रत कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। ‘संकष्टी’ शब्द का अर्थ होता है संकटों का नाश करना, और ‘चतुर्थी’ का मतलब है चौथी तिथि। इस दिन विशेष रूप से गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले सभी प्रकार के विघ्न और संकट दूर होते हैं, साथ ही साथ भगवान गणेश की कृपा से समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

गणेश जी को विध्नहर्ता और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति संकष्टी चतुर्थी के दिन उपवासी रहकर व्रत करते हुए भगवान गणेश की पूजा करता है, उसके जीवन से सभी परेशानियाँ दूर होती हैं। इसके अलावा, इस दिन व्रति (व्रत करने वाला व्यक्ति) की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और वह सुखी और समृद्ध जीवन की ओर अग्रसर होता है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि

संकष्टी चतुर्थी के दिन विशेष रूप से पूजा की जाती है, और इस दिन का व्रत अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है। पूजा विधि निम्नलिखित प्रकार से की जाती है:

  1. स्नान और शुद्धि: संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान करना आवश्यक होता है। स्नान से शरीर और मन शुद्ध होता है, जिससे पूजा में एकाग्रता और भक्ति का संचार होता है। इसके बाद घर के स्वच्छ स्थान पर पूजा की तैयारी करें।
  2. व्रत का संकल्प: पूजा करने से पहले व्रति को व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन विशेष रूप से उपवासी रहने की परंपरा है। व्रति को एक समय का भोजन ही करना चाहिए और रात को भोजन करने से बचना चाहिए। व्रत का संकल्प करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि व्रति केवल भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए किया जाए, न कि किसी अन्य उद्देश्य के लिए।
  3. गणेश जी की पूजा: संकष्टी चतुर्थी के दिन सबसे पहले भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र को स्वच्छ करके उसे श्रद्धापूर्वक रखें। फिर उन्हें लाल रंग के फूल, दूर्वा, और ताजे फल अर्पित करें। इसके बाद सिंदूर, अक्षत, और मिठाई अर्पित करें। भगवान गणेश को मोदक अत्यंत प्रिय होते हैं, अत: उन्हें मोदक चढ़ाना चाहिए। इसके बाद दीपक जलाकर उनसे अपने जीवन से सभी संकटों के निवारण की प्रार्थना करें।
  4. व्रत कथा सुनना: संकष्टी चतुर्थी के दिन विशेष रूप से संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा सुनना या पढ़ना महत्वपूर्ण होता है। इस कथा में भगवान गणेश के आशीर्वाद और व्रति के फलों के बारे में बताया गया है। यह कथा सुनने से व्रति को आशीर्वाद मिलता है और उसकी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
  5. रात्रि में पूजा और अर्चना: संकष्टी चतुर्थी की पूजा रात्रि को भी की जाती है। रात्रि को व्रति भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करते हुए उनका पूजन करते हैं। विशेष रूप से ‘ॐ गं गणपतये नम:‘ का जाप करना शुभ होता है। इसके अलावा, व्रति भगवान गणेश से अपने जीवन के सभी विघ्नों के निवारण की प्रार्थना करते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
  6. व्रत समाप्ति और पूजा के बाद आशीर्वाद: पूजा के बाद व्रति भगवान गणेश से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और फिर व्रत का समापन करते हैं। व्रत समाप्ति के बाद व्रति को परिवार के अन्य सदस्य से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए और फिर प्रसाद का वितरण करना चाहिए। व्रत का पारण करने के बाद व्यक्ति को एक समय का भोजन करना चाहिए।
See also  मां सरस्वती की उपासना: विधि और महत्व

संकष्टी चतुर्थी व्रत की विशेषताएँ

संकष्टी चतुर्थी का व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है, जो जीवन में किसी प्रकार के संकट या विघ्नों से जूझ रहे हैं। इस दिन भगवान गणेश की उपासना से कई लाभ होते हैं। यहाँ कुछ मुख्य विशेषताएँ दी जा रही हैं:

  1. विघ्नों का निवारण: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। जो लोग संकष्टी चतुर्थी का व्रत करते हैं, उनके जीवन से सभी प्रकार के विघ्न और संकट समाप्त हो जाते हैं। इस दिन व्रति भगवान गणेश से प्रार्थना करते हैं कि वे उनके जीवन के समस्त कष्टों को दूर करें।
  2. समृद्धि और सुख-शांति: संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत करने से घर में समृद्धि आती है और घर का वातावरण सुखमय होता है। भगवान गणेश की कृपा से व्यक्ति का जीवन खुशहाल बनता है और उसके समस्त कार्यों में सफलता मिलती है।
  3. स्वास्थ्य लाभ: संकष्टी चतुर्थी का व्रत मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से व्यक्ति को स्वस्थ रखने में सहायक होता है। उपवासी रहकर व्रत करने से शरीर में शुद्धता आती है और मानसिक शांति मिलती है। इसके अलावा, नियमित रूप से संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से बीमारियों से राहत मिलती है।
  4. दूसरे व्रतों से विशेष: संकष्टी चतुर्थी को अन्य चतुर्थी व्रतों से अलग माना जाता है क्योंकि यह व्रत विशेष रूप से भगवान गणेश की उपासना के लिए है। गणेश जी को विघ्ननाशक और सुखदाता माना जाता है, अत: इस दिन व्रत करने से सभी प्रकार की समस्याएँ दूर हो जाती हैं।

18 दिसंबर 2024 का संकष्टी चतुर्थी

18 दिसंबर 2024 को संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा। यह तिथि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है, और इस दिन व्रति विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा करेंगे। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि यह चतुर्थी तिथि कुछ खास संयोग में आ रही है, जो इस व्रत के प्रभाव को और भी अधिक शक्तिशाली बना देती है। इस दिन विशेष रूप से पूजा और उपासना का महत्व है, और यह दिन व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने में सहायक होता है।

See also  वसंत पंचमी: ज्ञान, उल्लास और बसंत ऋतु का पर्व

निष्कर्ष

संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की पूजा और उपासना का एक महत्वपूर्ण दिन है। यह व्रत जीवन से सभी प्रकार के संकटों और विघ्नों को दूर करने के लिए किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश का पूजन और उनकी कथा सुनना लाभकारी होता है। 18 दिसंबर 2024 को मनाई जाने वाली संकष्टी चतुर्थी का पर्व विशेष रूप से भक्तों के लिए शुभ और मंगलकारी रहेगा। जो लोग इस दिन व्रत और पूजा विधि के अनुसार भगवान गणेश की उपासना करेंगे, उनके जीवन में समृद्धि, शांति और सफलता की प्राप्ति होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *